रामायण, महाभारत, गीता, वेद तथा पुराण की कथाएं
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॥ मंत्र एवं आरती ॥

आरती हिन्दू उपासना की एक विधि है। पूजा के अंत में आराध्य भगवान की आरती करते हैं। यह खंड कुछ लोकप्रिय मंत्र, आरती एवं स्त्रोत का संकलन है। हम प्रयास करते हैं की यथासंभव हिंदी में अर्थ भी संगृहीत किया जाए।

श्री शिवानन्द लहरी

शिवानन्दलहरी आदि शंकराचार्य द्वारा विरचित शिव-स्तोत्र है। इसमें विभिन्न छन्दों के सौ श्लोक हैं। इसकी रचना आदि शंकर…

रामायणजी की आरती

आरती श्रीरामायणजी की। कीरति कलित ललित सिय पी की।। गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद। बालमीक बिग्यान बिसारद।। सुक सनकादि…

श्री भगवती स्तोत्रम्

माँ भगवती का यह सुन्दर "श्रीभगवती स्तोत्र"  का रोज पाठ करने वाले के ऊपर भगवती सदा ही प्रसन्न रहती हैं।  व्यास मुनि…

दुर्गा चालीसा और अर्थ

नवरात्रो में माँ भगवती की पूजा की जाती है। माता की कृपा अपने परिवार पर सदैव बनाये रखने के लिए तथा माता को जल्द…

श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र

नारायण लक्ष्य है और लक्ष्मी जी उन तक पहुँचने का एक साधन। देवी शक्ति के आठ रूपों की पूजा के बहुत ही सकारात्मक परिणाम…

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र, जिसे अयि गिरि-नन्दिनि स्त्रोत भी कहा जाता है इसकी रचना आदि शंकराचार्य ने किया था। इसकी…

श्री मधुराष्टकम्

श्री मधुराष्टकम् स्त्रोत अखण्ड भूमण्डलाचार्य जगद्गुरु महाप्रभु श्रीमद वल्लभाचार्य जी द्वारा रचित है।…