नवरात्रि को सही रूप में कैसे मनाएं
नवरात्री मनाने का सही तरीका
नवरात्री का सही उद्देश्य अपने तन तथा मन को पुनः ऊर्जा से भर लेना है। स्थूल भौतिक संसार से सूक्ष्म आध्यात्मिक संसार की यात्रा का नाम ही नवरात्र हैं।
हमारे हिंदू धर्म में नवरात्रि बहुत ही महत्व है। देवी दुर्गा के नौ अवतारों को समर्पित ये नौ दिन बहुत शुभ माने जाते हैं। यह हमारे सबसे प्राचीन त्योहारों में से एक है क्योंकि यह भगवान राम की जीत का जश्न मनाता है, जिन्होंने रावण पर अपनी लड़ाई से पहले देवी दुर्गा की पूजा की थीं। शारदा नवरात्रि का त्योहार पूरे भारत में धूम धाम से मनाया जाता है।
लेकिन नवरात्री का सही उद्देश्य अपने तन तथा मन को पुनः ऊर्जा से भर लेना है। स्थूल भौतिक संसार से सूक्ष्म आध्यात्मिक संसार की यात्रा का नाम ही नवरात्र हैं।
हम बचपन से नवरात्री मानते आ रहे है। माता की पूजा करते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं तथा ढेर सारे पकवान खाते हैं लेकिन सही अर्थों में ये नवरात्र नहीं है। एक बार, इस वर्ष आप हमारे कहे अनुसार नवरात्र मनाएं। आपको अलौकिक आनंद एवं परम शांति का आभास होगा।
१. नवरात्र के कुछ दिन पहले अपने सारे जरुरी काम निबटा लें जिससे आपको दैनिक जीवन में कोई परेशानी न हो। पूजा एवं ध्यान के दौरान आप परेशान न हों।
२. अपने लिए कुछ साफ़ एवं आरामदायक कपडे तैयार कर लीजिये। कपडे ऐसे होने चाहिए जिससे आपको ध्यान लगाने में कोई परेशानी न हो।
३. घर के एक कमरे में साफ़ सफाई करके, पूजन एवं ध्यान करने की व्यवस्था कर लीजिये।
अब आप तैयार है।
१. अपने मन और शरीर को विश्राम दे।
हम अपने इन्द्रियों को ९ दिनों के लिए मुक्त कर देते है। हमें सभी क्रियाओं से खुद को दूर करना होता है। सभी क्रियाओं का तात्पर्य खाना, बोलना, देखना, छूना, सुनना और सूंघना आदि से है । यदि हम इन सभी क्रियाओं से खुद को कुछ समय दूर रखते हैं तो ऐसे समय में हमारे शरीर की सभी इन्द्रियां इन कार्यों से विमुक्त होती हैं और शरीर अंतर्मुखी हो जाता है ।
पूर्ण रूप से नहीं तो भी जितना हो सके उतना हम मुक्त होने का प्रयास तो कर ही सकते है। वास्तव में यही वो समय होता है, जिसे आनंद, सुख और उत्साह का स्त्रोत माना जाता है। हम अपनी आत्मा में विश्राम करते हैं। यही वह समय है जब हम अपनी आत्मा को महसूस कर सकते हैं।
२. ध्यान लगाइये।
एकांत में बैठ कर अपनी ध्यान लगाइये। आँख बंद कर के अपने मूल के बारे में सोचिये, आप कौन हैं और कहाँ से आये हैं। अपने भीतर जाईये और ईश्वर के प्रेम को याद करके विश्राम करिए। परेशानी हो तो आँख बंद करे के १० – १५ मिनट चुप चाप बैठने का प्रयास कीजिये। प्रारम्भ में आपको शायद लगे की मैं बेकार ऐसे बैठा हूँ। लेकिन विस्वास कीजिये आपको रोज एक नयी अनुभूति होगी। (ये सोच कर बैठ जाइये की मुझे १५ मिनट जाया करने हैं बस )
३. अपने इष्ट देवता पर श्रद्धा रखिये
हम सभी इस ब्रह्माण्ड के अंग है और इस ब्रह्माण्ड का प्रमुख सोत्र वही परम शक्ति है, जिसे हम परमात्मा या भगवान कहते है, वही सम्पूर्ण सृष्टि को चला रही है। इस परम शक्ति की विशेषता है कि यह प्रेम से परिपूर्ण है और परम शक्ति ही नहीं बल्कि पूरी सृष्टि प्रेम से परिपूर्ण है। उस परम शक्ति को आप अपने इष्ट देव के रूप में भी मान सकते है। रोज के नियमित ध्यान से आप महसूस करते है कि आप उस परम शक्ति को बहुत प्रिय हैं और आप प्रेम की इस भावना में कुछ समय विश्राम कर खुद को एक नयी अनुभूति से जोड़ने का समय है ।
ये तीन कार्य आपको नियमित रूप से पुरे नवरात्रे के दौरान करना है। यकीन मानिये आप दैविये चमत्कार महसूस करेंगे।
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