श्री रामचरित् सुनने-गाने की महिमा Apr 9, 2021 1,591 0 दोहा : राम रूपु भूपति भगति ब्याहु उछाहु अनंदु। जात सराहत मनहिं मन मुदित गाधिकुलचंदु॥360॥ गाधिकुल के चन्द्रमा…
बारात का अयोध्या लौटना और अयोध्या में आनंद Apr 9, 2021 1,451 0 चली बरात निसान बजाई। मुदित छोट बड़ सब समुदाई॥ रामहि निरखि ग्राम नर नारी। पाइ नयन फलु होहिं सुखारी॥4॥ डंका बजाकर…
श्री सीता-राम विवाह, विदाई Apr 9, 2021 2,335 0 चलि ल्याइ सीतहि सखीं सादर सजि सुमंगल भामिनीं। नवसप्त साजें सुंदरी सब मत्त कुंजर गामिनीं॥ कल गान सुनि मुनि ध्यान…
बारात का जनकपुर में आना और स्वागतादि Apr 9, 2021 1,425 0 चौपाई : कनक कलस भरि कोपर थारा। भाजन ललित अनेक प्रकारा॥ भरे सुधा सम सब पकवाने। नाना भाँति न जाहिं बखाने॥1॥…
दशरथजी के पास जनकजी का दूत भेजना, अयोध्या से बारात का प्रस्थान Apr 9, 2021 1,409 0 दोहा : तदपि जाइ तुम्ह करहु अब जथा बंस ब्यवहारु। बूझि बिप्र कुलबृद्ध गुर बेद बिदित आचारु॥286॥ तथापि तुम जाकर…
श्री राम-लक्ष्मण और परशुराम-संवाद Apr 9, 2021 1,962 0 चौपाई : नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा॥ आयसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही॥1॥…
जयमाला पहनाना, परशुराम का आगमन व क्रोध Apr 9, 2021 1,489 0 दोहा : बंदी मागध सूतगन बिरुद बदहिं मतिधीर। करहिं निछावरि लोग सब हय गय धन मनि चीर॥262॥ धीर बुद्धि वाले, भाट,…
धनुषभंग Apr 9, 2021 1,259 0 दोहा : राम बिलोके लोग सब चित्र लिखे से देखि। चितई सीय कृपायतन जानी बिकल बिसेषि॥260॥ श्री रामजी ने सब लोगों की…
श्री लक्ष्मणजी का क्रोध Apr 9, 2021 2,114 0 जनक बचन सुनि सब नर नारी। देखि जानकिहि भए दुखारी॥ माखे लखनु कुटिल भइँ भौंहें। रदपट फरकत नयन रिसौंहें॥4॥ जनक के…
बंदीजनों द्वारा जनकप्रतिज्ञा की घोषणा, राजाओं से धनुष न उठना, जनक की निराशाजनक… Apr 9, 2021 1,696 0 तब बंदीजन जनक बोलाए। बिरिदावली कहत चलि आए॥ कह नृपु जाइ कहहु पन मोरा। चले भाट हियँ हरषु न थोरा॥4॥ तब राजा जनक ने…