अष्टादश महाशक्ति पीठ
देवी माँ के 18 दिव्य शक्तिस्थल
जहाँ ५१ शक्तिपीठ माँ सती के शरीर के अंगों के पृथ्वी पर गिरने से उत्पन्न हुए थे, वहीं अष्टादश महाशक्ति पीठ (18 Maha Shakti Peethas) उन विशिष्ट स्थलों को कहा गया है, जिनका उल्लेख स्वयं आदि शंकराचार्य और विभिन्न पुराणों में हुआ है। ये वे प्रमुख शक्तिपीठ हैं जो धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने गए हैं।
जहाँ ५१ शक्तिपीठ माँ सती के शरीर के अंगों के पृथ्वी पर गिरने से उत्पन्न हुए थे, वहीं अष्टादश महाशक्ति पीठ (18 Maha Shakti Peethas) उन विशिष्ट स्थलों को कहा गया है, जिनका उल्लेख स्वयं आदि शंकराचार्य और विभिन्न पुराणों में हुआ है। ये वे प्रमुख शक्तिपीठ हैं जो धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने गए हैं।
अष्टादश महाशक्ति पीठों का शास्त्रीय आधार
शक्तिपूजा की उपासना में “अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्र” (Astadasha Shaktipeetha Stotram) का अत्यधिक महत्व है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। इस स्तोत्र में देवी के 18 प्रमुख शक्तिस्थलों का वर्णन किया गया है। इन स्थलों की यात्रा शक्ति उपासना का परम फलदायी मार्ग माना गया है।
अष्टादश महाशक्ति पीठों की सूची
नीचे 18 शक्तिपीठों की सूची दी जा रही है, जिनका उल्लेख अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्र में मिलता है:
क्रम | शक्तिपीठ | स्थान | राज्य / देश | विशेषता |
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1 | श्री महालक्ष्मी | कोल्हापुर | महाराष्ट्र | धन, ऐश्वर्य और शक्ति की अधिष्ठात्री |
2 | श्री महाकाली (अम्बाजी) | अर्बुदा (माउंट आबू) | राजस्थान | शक्ति की रौद्र रूप |
3 | श्री कामाख्या | गुवाहाटी | असम | तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र |
4 | श्री पुरुहूतिका | पिथापुरम | आंध्र प्रदेश | कर्म शुद्धि की देवी |
5 | श्री श्रीशैल (भ्रामरी) | श्रीशैलम | आंध्र प्रदेश | देवी भ्रामरी रूप में |
6 | श्री जगदम्बा | अमरावती | महाराष्ट्र | माँ दुर्गा का उग्र रूप |
7 | श्री ब्रह्मरम्भा | श्रीशैलम | आंध्र प्रदेश | शिव के साथ रुद्राणी रूप |
8 | श्री यशोदेवी | जसोरे | बांग्लादेश | हृदय शक्तिस्थल |
9 | श्री विशालाक्षी | वाराणसी | उत्तर प्रदेश | ज्ञान और दृष्टि की देवी |
10 | श्री कांची कामाक्षी | कांचीपुरम | तमिलनाडु | तांत्रिक और वेदमार्ग का संगम |
11 | श्री प्रज्ञा शाक्ति | त्रिपुरा सुंदरी (उदयपुर) | त्रिपुरा | त्रिगुणात्मक रूप |
12 | श्री सरस्वती | शारदापीठ, कश्मीर | अब POK में | ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी |
13 | श्री चंद्रघंटा | कुरुक्षेत्र | हरियाणा | युद्ध में विजय की देवी |
14 | श्री हिंगलाज | बलूचिस्तान | पाकिस्तान | सबसे प्राचीन शक्तिपीठ |
15 | श्री मानसा देवी | हरिद्वार | उत्तराखंड | इच्छाओं को पूर्ण करने वाली |
16 | श्री ललिता देवी | प्रयागराज | उत्तर प्रदेश | ब्रह्मा की पुत्री देवी |
17 | श्री सुंदरी | त्रिपुरा | त्रिपुरा | सुंदरता और शक्ति का स्वरूप |
18 | श्री भुवनेश्वरी | नार्थ परली | महाराष्ट्र | ब्रह्मांड की स्वामिनी देवी |
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इन अष्टादश शक्तिपीठों में शक्ति और शिव का अद्वितीय समन्वय है — कहीं भैरव स्वरूप में, तो कहीं तपस्वी शिव के साथ।
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इन पीठों की यात्रा को “शक्ति सप्तशती पाठ”, “नवरात्र साधना”, “गुप्त नवरात्र तंत्र”, और तांत्रिक अनुष्ठानों के साथ जोड़कर देखा जाता है।
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इन स्थलों में से कई मंदिर सिद्धपीठ भी माने जाते हैं — जहाँ साधना तुरन्त फलदायी होती है।
अष्टादश महाशक्ति पीठों की यात्रा को जीवन की पाँच मुख्य यात्राओं में से एक माना गया है। ये स्थल न केवल मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि आत्म-शक्ति की अनुभूति और तांत्रिक साधना के लिए विशेष माने जाते हैं।
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